कालरात्रि की आराधना से होती है आरोग्य की प्राप्ति-स्वामी पूर्णानंद पुरी महाराज

Dr. Bhishm Vrat Yadav | धर्म | 10

शतचंडी अनुष्ठान के सातवें दिन कालरात्रि देवी का हुआ अर्चन, अनुष्ठान के सातवें दिन सोमवार को देवी के कालरात्रि स्वरुप की पूजा अर्चना की गयी

 

 अलीगढ। विश्व की मंगलकामना एवं देश की खुशहाली और सौहार्द के लिए वैदिक ज्योतिष संस्थान पर विगत सात दिनों से चल रहे श्री शतचंडी अनुष्ठान के तहत सप्तमी की पूजा एवं महायज्ञ किया गया। स्वर्ण जयंती नगर सीजन्स अपार्टमेंट स्थित वैदिक ज्योतिष संस्थान कार्यालय पर नव दुर्गा के पावन दिनों में चल रहे शतचंडी अनुष्ठान के सातवें दिन सोमवार को देवी के कालरात्रि स्वरुप की पूजा अर्चना की गयी।

वहीं मुख्य यजमान मनोज अग्रवाल,श्वेता अग्रवाल द्वारा आचार्य गौरव शास्त्री,रवि शास्त्री,ओम शास्त्री, रिषभ वेदपाठी आदि आचार्यो ने शप्तसती के श्लोकों पर देवी की विधिवत पूजा करवायी और उनके नामों का गुलाब के पुष्पों से अर्चन करवाया। इस दौरान स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने देवी के सातवें स्वरुप की पूजा के महत्त्व के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की आराधना का विधान है और इनकी पूजा अर्चना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है,माँ दुर्गा के क्रोध की वजह से देवी का वर्ण श्यामल हो गया और इसी श्यामल से मां कालरात्रि का प्राकट्य हुआ।

शुंभ अशुंभ और रक्तबीज का संहार करने वाले इस स्वरूप को शुभंकरी भी कहा जाता है कालरात्रि की पूजा एवं व्रत करने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।दूसरे चरण में देवी के निमित्त हवन यज्ञ का आयोजन हुआ जिसमें दर्जनों लोगों ने भाग लेकर आहुतियाँ दीं गईं।