अलीगढ़

मृतक राहुल चौधरी मुजफ्फरनगर के ग्राम मुंडभर थाना भूरा कलां निवासी थे। दो साल पहले ही वह पुलिस में भर्ती हुए थे। पिछले साल ही नवंबर में उनकी शादी हुई थी। उनकी पत्नी 8 माह की प्रेगनेंट है।

फजल और आसिफ ने अभिषेक गुप्ता की रैकी करना शुरू कर दिया। 26 सितंबर को मौका मिला और खेरेश्वर चौराहे पर अभिषेक गुप्ता के गोली मार दी गई।
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अगर आपको लोक अदालत में अपना मामला रखना है तो वह अपना प्रार्थना पत्र सम्बन्धित न्यायालय या कार्यालय को नियत तिथि से पूर्व दे सकता है।
करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाए गए, टायर फेंके गए और काली स्याही भी उछाली गई। सपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शनकारियों पर पथराव करने का भी आरोप लगाया है।
18 अप्रैल को पुलिस ने राहुल को उसके ताऊ और अन्य परिजनों के सुपुर्द कर दिया, जबकि महिला सपना को भी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद राहुल के साथ भेज दिया गया।
यह मामला जितना फिल्मी दिखता है, उतना ही सामाजिक रूप से गंभीर है। सवाल यह भी है कि जब एक महिला अपनी ही बेटी के मंगेतर को ‘रक्षा कवच’ समझने लगे, तो दोष किसका है? रिश्तों का? हालातों का? या समाज के बनाए नियमों का?